चलते - चलते शाम हो गई तो गुरु नानक जी पास के गांव में एक निर्धन किसान के यहाँ ठहर गए l उस गाँव के सेठ ने यह सुना कि आज रात्रि को गुरु नानक यहीं विश्राम कर रहे हैं तो वह भी उनके दर्शन के लिए गया l उस समय नानक भोजन कर रहे थे l भोजन में सूखी रोटी और दाल थी l ऐसा रुखा - सूखा भोजन करते हुए नानक को देखा तो उस सेठ को बड़ा बुरा लगा l उसने कहा ---" आप ऐसा भोजन क्यों कर रहे हैं ? इस गाँव में तो जो भी कोई संत महात्मा आता है , वह मेरे यहाँ ही ठहरता है l भगवान की कृपा से मेरे यहाँ कोई कमी नहीं है l मेरा आपसे निवेदन कि आप भी मेरे यहाँ चलकर ही निवास करिए l " नानक ने बड़ी शांति से उत्तर दिया --- " महोदय ! मैं तो श्रम की कमाई से उत्पन्न अमृत खा रहा हूँ l निर्धन व्यक्तियों के शोषण से बने पकवान मुझे पसंद नहीं हैं l "
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