औरंगजेब मुग़ल सल्तनत का क्रूरतम बादशाह था l सत्ता हथियाने की चाह में उसने सर्वप्रथम अपने दोनों भाइयों शुजा और मुराद को मौत के घाट उतरवा दिया और फिर अपने बड़े भाई दाराशिकोह को गिरफ्तार कर लिया l पहले तो उसने दारा को अमानवीय यातनाएं दीं और फिर उसके लहूलुहान बदन को हाथी की पीठ पर डालकर शहर में मजमा दिखाने के लिए छोड़ दिया l यह दृश्य देखने के लिए बाजार में भारी भीड़ इकट्ठी हो गई l दारा नीची नजरें किए लेटा था कि उसे एक आवाज सुनाई पड़ी --- " दारा ! तू जब भी यहाँ से गुजरता था तो खैरात बाँटता हुआ जाता था l आज क्या इस गरीब को तेरी सखावत का मौका नहीं मिलेगा l " दाराशिकोह ने नजरें उठाईं तो उसे एक फकीर खड़ा दिखाई पड़ा l दारा ने अपने कंधे पर पड़े दुशाले को उठाया और फकीर की गोद में डाल दिया l सारा शहर ' दारा जिंदाबाद ' और ' औरंगजेब मुरदाबाद ' के नारों से गुंजायमान हो उठा l
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