24 December 2020

WISDOM -----

   भगवान  श्रीकृष्ण   गीता  में  कहते  हैं  कि   गुण   मानवीय  व्यक्तित्व  का  आधार  है  l  वे  कहते  हैं   व्यक्तियों  में  अंतर   मात्र  गुणात्मक  है  ,  उनके  अंदर  उपस्थित  गुणों  के  प्रभुत्व  का  है  l   जिस  गुण   का  प्रभाव  बढ़  जाये   ,  व्यक्ति  के  व्यक्तित्व  की   संरचना  वैसी  ही  हो  जाएगी  l  एक  व्यक्ति  जीवन  भर   एक  ही  व्यक्तित्व  नहीं  रहता  है   l   तभी  तो  अनेक  हत्याएं  करने   के  बाद  भी   अंगुलिमाल  भिक्षु  बन  जाता  है   और  वर्षों  तपस्या  करने  के  बाद  भी   रावण  असुर  बन  जाता  है   l   भगवान  कहते  हैं   जिस  गुण  का  आधिक्य  हुआ  ,  वह  गुण ,  अन्य  गुणों  को  दबाकर   आगे  बढ़ता  है   l 

No comments:

Post a Comment