22 May 2020

WISDOM -----

   '  आधी  छोड़  सारी   को  धावे ,  आधी  मिले  न  सारी   पावे   l 
  यह  उक्ति  इस  संदर्भ   में  है   कि   युगों  की  दासता  के  कारण  हम  अपनी  संस्कृति  को  भुला  बैठे  l   चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  हमारे  यहाँ  आयुर्वेद है , नाड़ी   विज्ञानं  , प्राकृतिक  चिकित्सा , योग    आदि  में   आज  भी  देश  में  इतने  अनुभवी  हैं   कि   उनके  मार्गदर्शन  में   स्वस्थ  रहा  जा  सकता  है  l 
 ऐलोपैथी  में  भी  बहुत   गुण   हैं   लेकिन  हमें  अपनाना  वही  चाहिए  जो   हमारे  देश  की  जलवायु  , हमारे  रहन - सहन   और  उन  पांच  तत्वों --- पृथ्वी , जल , अग्नि, वायु  और  आकाश   जिनसे  हमारा  शरीर  बना  ,  उसके  अनुकूल  हो  l
यही  स्थिति  उन  देशों  की  भी  है   जिन्होंने  वर्षों  की  गुलामी  झेली  है   और  अपनी  संस्कृति  को  भी  खो  दिया   है  l   और  आज  ऐसे  सभी  देश   विज्ञान   और   आधुनिक   तकनीक    के  आगे   स्वयं  के  अस्तित्व  को  मिटाने   पर  उतारू  हैं  l
  आचार्य श्री  का  कहना  है  -- हमारी  हंस वृति   होनी  चाहिए  l '  जैसे  हंस  दूध  पी   लेता  है ,  उसका  पानी  छोड़  देता  है  l   उसी  तरह  हम  श्रेष्ठ  को  ग्रहण  करें  l  

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