सिकन्दर का सपना विश्वविजय का था , इस अभियान में उसने अनेक राजाओं को परास्त किया l फारस का राजा दारा बहुत वीर था और अपने को सारे संसार का स्वामी समझता था l सिकंदर ने उसे भी पराजित कर दिया l दारा मैदान छोड़कर भाग निकला , उसकी माँ , पत्नी व बच्चे पकड़े गए l दारा की पत्नी बहुत रूपवती थी l सिकन्दर , अरस्तु का शिष्य था और जानता था कि चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पदा है l वह उनके साथ बड़ी सभ्यता से पेश आया और उनकी सुरक्षा का प्रबंध किया l सिकन्दर में चारित्रिक बल था , पराजितों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना उसकी नीति थी l
दारा ने पराजित होकर भी आत्म समर्पण नहीं किया और अपने बचे हुए सैनिकों के साथ इधर - उधर भागता फिरा l एक दिन उसके ही एक सैनिक ने उसे छुरों से घायल कर दिया और मरा समझकर छोड़ दिया l सिकन्दर को वह मृतप्राय दशा में मिला l अपने मरणासन्न शत्रु को उसने अपना दुशाला ओढ़ाकर सम्मान प्रकट किया l दारा ने उसे अपनी पत्नी व बच्चों के प्रति किये सभ्य व्यवहार के लिए धन्यवाद दिया l सिकन्दर की इस उदारता के कारण उसकी सेना के कुछ उच्च अधिकारी उससे अप्रसन्न हो जाते थे किन्तु वह उनकी इस अप्रसन्नता की चिंता किए बिना अपनी इस नीति पर दृढ़ रहता था l
दारा ने पराजित होकर भी आत्म समर्पण नहीं किया और अपने बचे हुए सैनिकों के साथ इधर - उधर भागता फिरा l एक दिन उसके ही एक सैनिक ने उसे छुरों से घायल कर दिया और मरा समझकर छोड़ दिया l सिकन्दर को वह मृतप्राय दशा में मिला l अपने मरणासन्न शत्रु को उसने अपना दुशाला ओढ़ाकर सम्मान प्रकट किया l दारा ने उसे अपनी पत्नी व बच्चों के प्रति किये सभ्य व्यवहार के लिए धन्यवाद दिया l सिकन्दर की इस उदारता के कारण उसकी सेना के कुछ उच्च अधिकारी उससे अप्रसन्न हो जाते थे किन्तु वह उनकी इस अप्रसन्नता की चिंता किए बिना अपनी इस नीति पर दृढ़ रहता था l
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