9 July 2020

WISDOM ------ परिष्कृत दृष्टिकोण ही स्वर्ग है

 मन: स्थिति  पर  ही  जीवन  के  उत्थान - पतन  का  , सुख - दुःख  का  ढांचा  खड़ा  हुआ  है  l   यदि  सोचने  का  तरीका  सकारात्मक  हो  तो   हर  परिस्थिति  में  अनुकूलता  सोची  जा  सकती  है  l
गुबरैला  कीड़ा  और  भौंरा   एक  ही  बगीचे  में  प्रवेश  करते  हैं   और  दो  तरह  के  निष्कर्ष  निकालते   हैं  --- भौंरा  फूलों  पर  मंडराता  है  ,  सुगंध  का  लाभ  लेता  है  और  गुंजन  गीत  गाता   है  l
  गुबरैला  कीड़ा   अपनी  प्रकृति  के  अनुरूप   गोबर  की  खाद  के  ढेर  को   तालाश   लेता  है   और  अपने  दुर्भाग्य  पर   रोते    हुए  कहता  है  --- संसार  में  बदबू  ही  बदबू  भरी  पड़ी  है   l  

No comments:

Post a Comment