मन: स्थिति पर ही जीवन के उत्थान - पतन का , सुख - दुःख का ढांचा खड़ा हुआ है l यदि सोचने का तरीका सकारात्मक हो तो हर परिस्थिति में अनुकूलता सोची जा सकती है l
गुबरैला कीड़ा और भौंरा एक ही बगीचे में प्रवेश करते हैं और दो तरह के निष्कर्ष निकालते हैं --- भौंरा फूलों पर मंडराता है , सुगंध का लाभ लेता है और गुंजन गीत गाता है l
गुबरैला कीड़ा अपनी प्रकृति के अनुरूप गोबर की खाद के ढेर को तालाश लेता है और अपने दुर्भाग्य पर रोते हुए कहता है --- संसार में बदबू ही बदबू भरी पड़ी है l
गुबरैला कीड़ा और भौंरा एक ही बगीचे में प्रवेश करते हैं और दो तरह के निष्कर्ष निकालते हैं --- भौंरा फूलों पर मंडराता है , सुगंध का लाभ लेता है और गुंजन गीत गाता है l
गुबरैला कीड़ा अपनी प्रकृति के अनुरूप गोबर की खाद के ढेर को तालाश लेता है और अपने दुर्भाग्य पर रोते हुए कहता है --- संसार में बदबू ही बदबू भरी पड़ी है l
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