पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं ---- " खुशियाँ यदि तलाशनी है तो दूसरों को खुशी देने में तलाशिए , अपनेपन में तलाशिए l जो खुशियों को दौलत कमाने या अपने अहं की संतुष्टि में तलाशते हैं , उनकी तलाश हमेशा अधूरी व अपूर्ण होती है l वे बहुत कुछ पाकर भी खाली हाथ रह जाते हैं l " इस समय में यदि कोई काम सबसे कठिन है तो वह है ---- किसी को ख़ुशी देना l आज दुर्बुद्धि का ऐसा तांडव है कि लोग दूसरों की खुशियाँ छीनने को उतारू हैं l कहते हैं जब जागो तब सवेरा l प्रसिद्ध वैज्ञानिक एल्फ्रेड नोबेल के जीवन का वह किस्सा सुप्रसिद्ध है , जब उनकी मृत्यु का झूठा समाचार फैलने पर फ़्रांस के एक समाचार पत्र ने उनका शोक संदेश ' मौत के सौदागर की मृत्यु ' के नाम से प्रकाशित किया था क्योंकि उन्होंने डायनामाइट की खोज की थी l जब एल्फ्रेड नोबेल को यह पता चला तो उन्होंने अपने शेष जीवन और अपनी सारी संपदा को जनहित में लगाने का निर्णय लिया , ताकि मृत्यु के बाद उन्हें श्रेष्ठ कर्मों के लिए याद किया जाए l आज सारे विश्व में उनका सम्मान है और सारा संसार उन्हें प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार के लिए जानता है , मात्र डायनामाइट की खोज के लिए नहीं l श्री लिखते हैं ---- ' मनुष्य के जीवन की श्रेष्ठता इसी में है कि उससे जितना भी बन पड़े , वह अपनी शक्ति , सामर्थ्य , संपदा को समाज कल्याण में , जनहित में और उच्च उद्देश्यों के लिए लगाए , जिससे अपने जीवन का पथ प्रशस्त करने के साथ, वह औरों के जीवन लिए भी प्रेरणा बन सके l
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