सबसे समर्थ कालपुरुष है l समर्थ होते हुए भी भगवान राम ने वनवास का कष्ट सहा l श्रीकृष्ण के यादव कुल का नाश हुआ , नल को राज्य से हटना पड़ा , काल ने किसी को नहीं छोड़ा , भगवान कृष्ण स्वयं दुर्योधन को समझाने गए , वो कुछ समझने को तैयार ही नहीं था , आखिर महाभारत हुआ l ' काल बड़ा बलवान है ' ---- यदि कोई इस सत्य को समझ जाये तो उसमें क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाता है l --------- बेताल अवंतिका ( उज्जैन ) के महामात्य थे , बहुत बड़े तांत्रिक थे l उनका जीवन कभी तांत्रिक साधनाओं में बीता , कभी रणभूमि में l सम्राट विक्रमादित्य उनके बिना स्वयं को असहाय महसूस करते थे l लेकिन आज वे स्वयं में लीन थे , अपने आप को विवश महसूस करते हुए सोच रहे थे कि इतने षड्यंत्र - कुचक्र आखिर किसके लिए ? दूसरों को पराजित करने वाला आज महसूस कर रहा था कि सबसे सशक्त कालपुरुष है l मृत्यु से आज तक कोई नहीं बच पाया है l उनके विवेक - चक्षु खुल गए l सांसारिक मोह टूट गया , दंभ मर गया , जीवन भर के पाप आँखों के समक्ष आ रहे थे , मस्तिष्क में मानों हथौड़ों की चोट लग रही थी l उन्होंने राजसी परिधान उतारे , साधारण वेशभूषा पहनी l हाथ में लाठी और उत्तरीय कंधे पर डालकर निकल गए l क्षिप्रा नदी के तट पर खड़े होकर उन्होंने अवंतिका नगरी , भगवान महाकाल को प्रणाम किया और चल पड़े l अभी बीस कदम ही चले थे कि एक ओर से महाकवि कालिदास आ रहे थे l वे पूछ बैठे ---- " बेताल भट्ट ! आज किस कूटनीति के तहत वेश बदलकर जा रहे हैं ? " बेताल बोले ---- " अब मैं अंतिम और निर्णायक युद्ध अपने आप से करने जा रहा हूँ l " कालिदास ने फिर प्रश्न किया --- " किन्तु इस अवंतिका का क्या होगा ? " बेताल बोले ----- " सब व्यर्थ का मोह है l मनुष्य अहंकारवश सोचता है और भावी पीढ़ी के मार्ग में बाधक बनता है l " बेताल आगे बढ़ गए और देश में खबर फ़ैल गई कि महातांत्रिक , राज्य के महामात्य ने वानप्रस्थ लेकर स्वयं को समाजसेवा हेतु समर्पित कर दिया है l
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