पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " आकस्मिक विपत्ति का सिर पर आ पड़ना मनुष्य के लिए सचमुच बड़ा दुखदायी है l इससे उसकी बड़ी हानि होती है , किन्तु उस विपत्ति की हानि से अनेकों गुनी हानि करने वाला एक और कारण है , वह है विपत्ति में घबराहट l विपत्ति कही जाने वाली मूल घटना चाहे वह कैसी ही बड़ी क्यों न हो , किसी का अत्यधिक अनिष्ट नहीं कर सकती , परन्तु विपत्ति की घबराहट ऐसी दुष्ट पिशाचिनी है कि जिसके पीछे पड़ती है उसके गले से खून की प्यासी जोंक की तरह चिपक जाती है और जब तक उस मनुष्य को पूर्णतया नि:सत्व नहीं कर देती , तब तक उसका पीछा नहीं छोड़ती l l " इसलिए विपत्ति आने पर हमें धैर्य से काम लेना चाहिए l स्वामी रामतीर्थ कहते हैं ---- " धरती को हिलाने के लिए धरती से बाहर खड़े होने की आवश्यकता नहीं है , आवश्यकता है ---- आत्मा की शक्ति को जानने और जगाने की l आत्म शक्ति का ही दूसरा नाम है आत्मविश्वास है l " आत्मविश्वास ही ईश्वरविश्वास है l
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