8 January 2021

WISDOM -----

   सूफी  संत  अहमद  बहुत  नेक  दिल  इनसान   थे  l   एक  दिन  उनका  पड़ोसी   बहराम  रोता     हुआ   उनके  पास  आया  l   पूछने  पर  पता  चला  कि   जब  वह   सौदे  का   माल   ऊंटों  पर   लादकर    ला  रहा  था  तो  लुटेरों  ने  उसे  रास्ते  में  लूट  लिया  l   वह  इतना  दुःखी   था  कि   आत्महत्या  करने  को  तत्पर  था  l   संत  अहमद  ने  उससे  पूछा  ---- " बहराम  !  जब  तुम  पैदा  हुए  थे  तो  क्या   ये  सारा  धन  तुम  अपने  साथ  लाये  थे  ? "  बहराम  ने  जवाब  दिया  --- "  नहीं ,  धन  तो  परिश्रम  कर  के  बाद  में  कमाया  था  l  "   संत  अहमद  ने  पुन:  पूछा  ---- " क्या  मेहनत  करने  वाले   तुम्हारे  हाथ - पैरों  को  भी  डाकुओं  ने  लूट  लिया   है   ? "  बहराम  ने  उत्तर  दिया  --- " नहीं  मेरे  हाथ - पैर  तो  सही - सलामत  हैं  l "  संत  अहमद  बोले --- "जब  तुम्हारा  मेहनत  करने  वाला   शरीर  सही  - सलामत  है   तो  चिंतित  क्यों  हो  ? "  उनकी  बात  सुनकर  बहराम  के  अंदर  नई  ऊर्जा  का  संचार  हो  गया   और  वह  पुन:  परिश्रम  करने  को  उद्दत  हो  गया  l 

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