गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना प्रसिद्ध संत स्वामी श्रद्धानंद ने की थी l विश्वविद्यालय की स्थापना से पूर्व एक बार वे दिल्ली के एक राय साहब के घर चंदा मांगने पहुंचे l उनका उद्देश्य था कि यदि एकमुश्त रकम मिल जाती तो विश्वविद्यालय की इमारतों को खड़ा करने में सहयोग मिलता , पर राय साहब ने आर्थिक सहयोग देने के बजाय उनका अपमान कर के उन्हें घर से बाहर निकलवा दिया l स्वामी श्रद्धानंद ने उसी दिन प्रण किया कि वह विश्वविद्यालय केवल निजी प्रयासों से खड़ा करेंगे l उन्होंने हरिद्वार वापस लौटकर अपना पुश्तैनी मकान बेच दिया और उससे प्राप्त सम्पति गुरुकुल बनाने के लिए दान कर दी l गुरुकुल की स्थापना होते ही उन्होंने सबसे पहले अपने पुत्र को उसमें दाखिला दिया l स्वामी जी का कहना था कि ---- " दान लेने का सच्चा अधिकारी वही है , जिसने पहले सर्वस्व दान दिया हो l " पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी स्वामी श्रद्धानंद का उदाहरण देते हुए कहते थे कि ---- " जनता का सहयोग और देवताओं का अनुग्रह उन्ही को मिलता है , जिनकी कथनी और करनी में भिन्नता नहीं होती l
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