19 January 2021

WISDOM -----

   प्रसिद्ध   साहित्यकार   हरिवंश  राय  बच्चन  ने  अपनी  आत्मकथा  ' दशद्वार  से  सोपान  तक  '  में   अपनी  एक  अनुभूति  को  लिखा  है   कि   जब  वे  विदेश  मंत्रालय  में   अवर  सचिव   के  पद  पर  कार्यरत  थे  ,  तब  उनका  निवास   २ १ ९ , डी.  १ , डिप्लोमैटिक  इन्क्लेव , सफदरजंग   था  l  यहीं  रहकर   उन्होंने     गीता  का   अनुवाद         ' जनगीता '  के  नाम  से  किया  था   l   जब  वे  यह  अनुवाद  कार्य  कर  रहे  थे   ,  तो  अनेक  बार   उन्हें  यह  स्पष्ट  अनुभव  हुआ   कि   जहाँ  वे  बैठे  हैं  ,  वहां  कभी  द्वारिका  से    हस्तिनापुर   जाते  हुए    भगवान  कृष्ण  का  रथ  खड़ा  हुआ  था  l   इस  क्रम  में  यदा -कदा   रथ  की  ,  रथ  में   जुते   थके  घोड़ों  की  . सवार   और  सारथी   दोनों  रूपों  में   रथ  पर  बैठे     श्रीकृष्ण  की   स्फुट   झलकी  मिलती  थी  ,  मानो  वह  साक्षात्    द्वापर  में   उपर्युक्त   तथ्य   के  साक्षी  के  रूप  में  विराजमान  हों   l 

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