18 February 2021

WISDOM ------

   एक  बार  अपने  जन्म  दिवस   12  जनवरी  को  गंगा  तट   पर  टहलते  हुए   स्वामी  विवेकानंद  ने  अपने  गुरु भाइयों  से  कहा  था  ---- " निद्रित  भारत  अब  जागने  लगा  है  ---- जड़ता  धीरे - धीरे  दूर  हो  रही  है  ,   जो अंधे   हैं  वे  देख  नहीं  सकते  ,  जो  विकृत  बुद्धि  हैं  ,  वे  ही  समझ  नहीं  सकते   कि   हमारी  मातृभूमि  अब  जाग  रही  है     ---- अब  उसे  कोई  रोक   नहीं सकता  l   --- एक  नवीन   भारत  निकल  पड़ेगा  -- हल  पकड़कर ,  किसानों  की  कुटी  भेदकर  ,  मछुए ,  माली ,  मोची  ,  मेहतरों  की  कुटीरों  से    l   निकल  पड़ेगा  बनियों  की  दुकानों  से  ,  भुजवा  के  भाड़   के पास  से  ,  कारखाने  से  ,  हाट  से  , बाजार  से   l   अपना  नवीन   भारत  निकल  पड़ेगा   --- झाड़ियों , जंगलों , पहाड़ों  , पर्वतों  से  l   इन  लोगों  ने  हजारों  वर्षों  तक  नीरव  अत्याचार  सहन  किया  है  ,  उससे  पाई  है  अपूर्व  सहनशीलता   l   सनातन  दुःख  उठाया  है  ,  जिससे  पाई  है  अटल  जीवनी  शक्ति   l   यही  लोग  अपने  नवीन  भारत  के  निर्माता  होंगे   l  "

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