यूरोप की एक पुरानी किन्तु रोचक घटना है ----- एक बार कुछ पादरी आपस में चर्चा कर रहे थे कि उन्हें दान में जो कुछ मिलता है उसका वे क्या करते हैं ? एक पादरी ने कहा --- " मेरे यहाँ लोग दान - पेटी में जो कुछ डालते हैं , वह सबका सब परमात्मा के पास पहुँच जाता है l " एक अन्य पादरी ने कहा --- ' मैं अपने यहाँ चढ़ाये गए तांबे को तो चर्च में दे देता हूँ , जबकि चांदी की चीजें परमात्मा के पास पहुंचा देता हूँ l ' इस चर्चा को सुनकर एक तीसरा पादरी जो अब तक खामोश बैठा था , बोला ----- " मैं तो इकट्ठा किया गया सारा धन कम्बल में रख देता हूँ और उसे हवा में उछाल देता हूँ l उछाले गए इस धन में से परमात्मा को जो भी कुछ लेना हो ले लेता है , शेष मैं परमात्मा का प्रसाद समझकर रख लेता हूँ l " ये तीनो पादरी जब चर्चा कर रहे थे , उसी समय उस ओर से संत फ्रांसिस निकले l यह चर्चा सुन उन्होंने जोर का ठहाका लगाया फिर बोले ----- " धूर्त और चालाक मत बनो , क्योंकि अंत में तुम्हारा ही नुकसान होगा , परमात्मा का नहीं l जो ठग हैं , धूर्त और चालाक हैं उनके लिए प्रभु का द्वार कभी न खुल सकेगा l "
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