23 February 2021

WISDOM ------

    विश्वकवि  रवीन्द्रनाथ   टैगोर  की   बढ़ती  हुई  प्रतिभा  और  लोकप्रियता   से  लोग  ईर्ष्या  करने  लगे  थे  l   उन्होंने  गुरुदेव  की  छवि  को  धूमिल   करने  के  लिए   विभिन्न  पत्र - पत्रिकाओं  के  माध्यम  से   अपने  कलुषित   प्रयास  प्रारम्भ  कर  दिए  l   परन्तु  गुरुदेव  समभाव   से  सब  सहन  करते  रहे   तथा  तनिक  भी    विचलित  नहीं  हुए   l   श्री  शरतचंद्र  को  जब   ये  आलोचनाएं   सहन  नहीं   हुईं  तो  उन्होंने  गुरुदेव  से  कहा   कि   वे  इन  आलोचकों   को  रोकने  का  कुछ  प्रयास  करें   l  टैगोर  ने  शांत  भाव  से  शरतचंद्र   को  समझाया  कि ,  प्रयास  क्या  करूँ   ?  मैं  उन  जैसा  नहीं  बन  सकता    और  उन्होंने  जो  मार्ग  अपनाया  है  ,  वह  भी  मैं  नहीं  अपना  सकता   l 

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