27 February 2021

WISDOM ------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- 'मनुष्य  जीवन  की  सबसे  बड़ी  उपलब्धि   भावनाओं  का  परिष्कार  है   l   भावनाएं  न  हों  तो  जीवन  नीरस  हो  जायेगा  l   जीवन  का  उल्लास   भावात्मक  आधार  पर  ही  बन  पाता   है   l   ये   भावनाएं  यदि  पवित्र  हो  जाएँ   ,  अंत:करण   प्रेम  और  शीतलता  से  भर  उठे    तो  मानवीय  व्यक्तित्व  ,  शांति  व  सुगंध  का   प्रतीक   बन  जाता  है   l   उसमें  से  कुछ   ऐसी सुगंध  निकलती  है  ,  जो  कस्तूरी  मृग  की   कस्तूरी  की  तरह  से  समस्त  उपवन  को   सुरभित  करने  में  पीछे  नहीं  रहती   l   पवित्र  अंत:करण   वाले  व्यक्तित्व   इसी  प्रकार   समस्त  वातावरण  को  सुगन्धित  एवं  सुरभित  बनाते  हैं   l  '

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