सारा यूरोप यूनान की फौजों से संत्रस्त था l अजेय समझी जाने वाली यूनानियों की धाक उन दिनों सब देशों पर छाई हुई थी l यूनानी फौजें जिस पर भी आक्रमण करतीं , वह हिम्मत हार कर बैठ जाता और अपनी पराजय स्वीकार कर लेता l रोम के सेनापति सीजर ने देखा कि इस व्यापक पराजय का कारण लोगों में व्याप्त आत्महीनता ही है , जिसके कारण उन्होंने अपने को दुर्बल और यूनानियों को बलवान स्वीकार कर लिया है l इस मन: स्थिति को बदला जाना चाहिए l सीजर ने अपने देश की दीवारों पर यह वाक्य लिखवाया ----- ' यूनानी फौजें तभी तक अजेय हैं , जब तक हम उनके सामने घुटने टेके बैठे हैं l आओ , तनकर खड़े हो जाएँ l ' इस वाक्य का रोम की जनता पर जादू जैसा असर हुआ l जमकर लड़ाई लड़ी गई और अजेय समझा जाने वाला यूनान परास्त हो गया l
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