16 March 2021

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " वर्तमान  समय  में  मनुष्य  जैसे - तैसे  शिष्टाचार  तो  निभा  लेता  है  ,  परन्तु  जब  बारी   सदाचार  को  निभाने  की  आती  है  ,  तब  वह  औंधे  मुँह   गिर  पड़ता  है   l   स्वार्थलिप्सा , वासना  और  अहंता   उसे  दबोच  लेते  हैं  l   यही  वजह  है  कि  अच्छा  करने  के  इरादे   से  निकलने  वाले  लोग  भी  कुछ  दूर  चलकर   बुरा  करने  लगते  हैं   l   उनकी  आंतरिक  दुर्गन्ध   पूरे   समाज  में   सड़ाँध   फैलाने   लगती  है   l   इसे  दूर  करने  के  लिए   आध्यात्मिक  दृष्टिकोण ,  आध्यात्मिक  चिंतन  और  आध्यात्मिक  साधना  की  जरुरत  पड़ती  है   l  "

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