15 March 2021

WISDOM ----

   श्रीमद् भगवद्गीता   में  भगवान  कृष्ण   अपने  प्रिय  सखा  अर्जुन  को  अपनी  प्रधान  विभूतियों   का  विवरण  देते  हैं  ---- स्त्रियों  में  भगवान   की सर्वाधिक  विभूतियाँ  हैं   l   ऋषि  कहते  हैं  --जब  तक  ये  विकसित  नहीं  हो  पातीं  ,  तब  तक  दुनिया  असंतुलित  रहेगी   l   इनके  विकसित  होने  पर  ही  दुनिया  में  संतुलन  और  सौंदर्य  प्रकट  होगा   l   विभूतियों  का  वर्णन  करते  हुए  भगवान  कहते  हैं  ------ ( युग  गीता  से  ) ----  स्त्रियों  में  मैं  कीर्ति  हूँ  l  कीर्ति   का  मतलब  ऐसी  स्त्री  ,  जो  स्वयं  को  वासना  का  विषय  मानकर  नहीं  जीती  l   ऐसी  नारी  जिसके  व्यक्तित्व  से  वासना   की  झंकार  नहीं  निकलती  l   ऐसा  होने  पर  उसे  एक  अनूठा  सौंदर्य  उपलब्ध  होता  है   और  वही  सौंदर्य  उसका  यश  है  ,  उसकी  कीर्ति  है  l   यह  आंतरिक  सौंदर्य  है  ,  जिसे  देखकर  वासना  उभरने  के  बजाय  शांत  हो  जाती  है  l   यह  कहने  के  बाद  भगवान  कहते  हैं  ---- स्त्रियों  की  श्री  मैं  ही  हूँ  l   कीर्ति  बड़ी  गहरी  साधना  है  ,  यह  साधना   जब परिपक्व  होती  है  ,  तो  श्री  विकसित  होती  है  l  श्री  का  सौंदर्य  अपार्थिव  है , अलौकिक  है  l   यह  स्त्री  का  आत्मिक  सौंदर्य  है  ,  उसकी  दिव्यता  की  अभिव्यक्ति  है  l कभी  किसी  मीरा  में  , मरियम  में   इसके    दर्शन  हो  पाते   हैं   l   इसके  बाद  स्त्री  के  एक  अन्य  गुण    वाक्  को  अपना  स्वरुप  बताते   हैं  l   इसके  बाद  एक  अन्य  गुण   को  अपना  स्वरुप  बताते  हैं  ,  वह  है  स्मृति ---  यह  स्त्री  के  अस्तित्व  की  सम्पूर्णता  है  l  स्त्री  जब  किसी  को  याद  करती  है   तो  केवल   बुद्धि  से  नहीं , विचार  से  नहीं  ,  बल्कि  अपने  पूरे   होने  से , सम्पूर्णता  से  l   इस  तरह  से  कोई  परमात्मा  का  स्मरण  करे  तो  उसे  वे  मिल  जाते  हैं    l   स्त्री  में  भगवान  की  अन्य  विभूति  है  ---- मेधा  ---इसी  के  बल  पर  स्त्री   संवेदना  व  सृजन   को  धारण  करती  है   l     इसके  बाद  है  --- धृति --- इसका  अर्थ  है  ---धीरज ,   धैर्य   , स्थिरता  l   स्त्री  का  धैर्य ,  उसमें  सहने  की  क्षमता  अनंत  है   l   इसी  कारण  प्रकृति  ने  उसे  माँ  का  गौरव  दिया  l    इसके  पश्चात   स्त्री  का  अगला  गुण   है ---- क्षमा  --- जिसे  भगवान  अपनी  विभूति  कहते  हैं   l   स्त्री  में  जितना  प्रेम  है ,  उतनी   ही क्षमा  है  ,  इसी  कारण  वह  माँ  है  l 

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