पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' इस संसार में एक ओर दैवी शक्तियाँ और दूसरी ओर आसुरी शक्तियाँ कार्य करती हैं l हमें श्रेष्ठता को देखना है , परन्तु बुराई की ओर से आँखों को बंद नहीं कर लेना है क्योंकि बुराई में बहुत आकर्षण होता है और बुराई का आक्रमण भी बड़ी तेजी व् दृढ़ता से और बलपूर्वक होता है l इसलिए देखा जाता है कि निर्बल शक्ति वाले व्यक्ति प्राय: बड़ी आसानी से बुराइयों का प्रलोभन सामने आते ही फिसल जाते हैं और उसके चंगुल में फँस जाते हैं l इसलिए अच्छाई का समर्थन और उसकी सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि असुर पक्ष का विरोध किया जाये , उसे नष्ट किया जाए l बुराई छोटी है , यदि यह समझकर उसकी उपेक्षा की जाये तो वह क्षय रोग की तरह सब ओर अपना कब्ज़ा जमा लेती है l '
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