पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' प्रकृति व शक्ति , दोनों ही हमारे जीवन का मूल आधार हैं , उनके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं l हमारा शरीर प्रकृति के तत्वों से मिलकर बना है और यह संचालित भी होता है प्रकृति की शक्ति से l शरीर में ऊर्जा का संचार प्राणवायु ही करती है , जो कि प्रकृति का एक घटक है l शक्ति का मूलस्रोत प्रकृति है और वह जगदम्बा के रूप में पूरी सृष्टि का पालन - पोषण करती है l पार्वती के रूप में भगवान शिव की अर्द्धांगिनी है और सृष्टि के विभिन्न दैवी रूपों में सृष्टि का कार्यभार संभालती है l इस संसार में शक्ति की ही विजय होती है , यदि शक्ति की कृपा नहीं है तो व्यक्ति सफल नहीं हो सकता l इसी कारण भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व शारदीय नवरात्र का अनुष्ठान किया था l अर्जुन ने महाभारत युद्ध करने से पूर्व शक्ति की उपासना की थी और वे अपने विजय अभियान में सफल हुए l '
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