17 March 2021

WISDOM ------

 शिष्य  ने  गुरु  से  पूछा  ---- '  मनुष्य  एक  बुद्धिमान  प्राणी  है   फिर  वह  स्वाभिमान  से  क्यों  नहीं  जीवन  व्यतीत  करता   ? "   गुरु  ने  कहा  ---- '  लोभ , लालच  ,  कामना , वासना , धन  और  पद  की  अति  महत्वाकांक्षा      ये  मनुष्य  की  कमजोरियाँ   हैं   ,  केवल  स्वयं   के    ईमानदार  प्रयास  से  इनका  पूरा  होना  संभव  नहीं  है  l  ये  वो  खाई  है  जिसे  पाटना   संभव  नहीं  है   लेकिन  फिर  भी  जो  इन्हें   पूरा  करने  में  सहयोग  देने  का  लालच  देता  है  ,  व्यक्ति  अपना  स्वाभिमान  खो  कर  उसी  के  इशारों  पर  चलने  लगता  है   l    अति  की  इन  महत्वाकांक्षा  को  पूरा  करने   में  भौगोलिक    सीमा   भी  बाधक  नहीं  होती  ,  हर  ताकतवर  अपने  से  कमजोर  को   लालच   देता है   और  दोनों  के  स्वार्थ   पूरे    होते  हैं  l   इसमें  मानवीय  मूल्यों  की  उपेक्षा  होती  है   इस  कारण   समाज का  पतन   होने  लगता  है   l 

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