विचारों में परिवर्तन और परिमार्जन होते ही जीवन कैसे बदल जाता है , इसके उदाहरण हैं --- महात्मा टालस्टाय l टालस्टाय जन्मजात महात्मा नहीं थे l वे एक सामन्तवंशी राजकुमार थे l रुसी सेना में सेना नायक के पद पर कार्य करते रहे l सामंत सेनापतियों की सारी बुराइयां उनमे भरी पड़ी थीं l जीवन के कई वर्ष उन्होंने मद्दपान , क्रूरता , हत्या तथा भोग - विलास में बिताये l जब वे रुसी तोपखाने में थे तब युद्ध में जाकर हजारों मनुष्यों का वध किया करते थे , गांव और नगर वीरान कर देते थे l तब उन्हें अनाथ हुए बच्चों , विधवाओं और पुत्रहीन माताओं का क्रंदन और घायलों की कराह सुखद लगती थी l खेत और खलिहानों को जलाती हुई आग की लपटें सुहावनी लगती थीं l टालस्टाय के जीवन की यह अंधकार की स्थिति बहुत समय तक न चल सकी l उन्होंने महात्माओं , संतों और सज्जनों के जीवन से अपनी तुलना की तो उन्होंने अनुभव किया कि वे मानों मनुष्य हैं ही नहीं , वे पशु हैं l व्यसन और विलासिता के दास हैं l ऐसे विचार आते ही उन्हें अपने जीवन पर ग्लानि होने लगी l वे जब सेना में थे , उन दिनों को याद कर के रो देते थे l सत्य का प्रकाश आते ही उन्होंने अपने जीवन की धारा बदल दी और अब वे बुरे से अच्छे बनकर प्रेम , करुणा , सहृदयता , सहानुभूति तथा त्याग - तपस्या की मूर्ति बन गए l आत्म ग्लानि की वेदना को कम करने के लिए उन्होंने कलम का सहारा लिया और ' बचपन ' नामक उपन्यास लिखा , जिसकी बहुत प्रशंसा हुई l उन्होंने रूस में विद्द्या प्रसार का बहुमूल्य कार्य किया l
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