पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- ' अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध प्राणों की बाजी लगा देने वाले को परमात्मा अपनी शक्ति दे देता है l ' जो अत्याचारी है , निर्दयी है उसे कमजोर को सताने में ही आनंद आता है लेकिन यह भी सत्य है कि यदि हम चुपचाप अत्याचार को सहन करते जाएंगे तो अत्याचारी की हिम्मत और बढ़ जाएगी , असुरता और प्रबल होगी l धर्म - कर्म रुक जाने असुरता और अधिक मजबूत होती है l अत्याचार तो हर युग में होता है l समय के साथ उसका रूप बदल जाता है l जो वीर होते हैं वो सामने से और चुनौती देकर ही वार करते हैं लेकिन जब संसार में कायरता बढ़ जाती है तब छुपकर वार होते हैं और हम जागरूक और निर्भय होकर ही समझ सकेंगे की बाह्य रूप से सबके हित की बात करने वाला वास्तव में हितैषी है या उसकी मंशा कुछ और है ? महाभारत में एक कथा है ----- जब पांचों पांडव माता कुंती समेत वनवास में थे , तब उन्होंने एक ब्राह्मण परिवार के घर में आश्रय लिया था l एक दिन उन्हें ब्राह्मण परिवार के रोने की आवाज आई l तब माता कुंती ने भीम से कहा कि जाओ पता करो कि यह ब्राह्मण परिवार इतना दुःखी क्यों है ? माता कुंती भी भीम के साथ गईं और ब्राह्मण परिवार को सांत्वना दी तथा दुःख का कारण पूछा l तब ब्राह्मण ने कहा ---- माता ! इस क्षेत्र में एक बहुत भयानक दैत्य का आतंक है l वह पहले प्रतिदिन जहाँ से जिसको चाहता था खाने के लिए पकड़ ले जाता था l जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र में , प्रत्येक घर में भय व्याप्त था l शिक्षा , चिकित्सा , धर्म - कर्म , सामान्य जीवन क्रम , सामाजिक जीवन सभी कुछ अस्त - व्यस्त हो गया था l इसलिए जनता ने पंचायत कर के दैत्य से यह समझौता कर लिया कि वह बस्ती में न आये , प्रतिदिन क्रम से एक घर से एक आदमी और भोजन का सामान उसके पास पहुँच जाया करेगा l इसी क्रम में आज उसके परिवार की बारी है l हम पुत्र वियोग का दुःख सहन नहीं कर सकते इसलिए हम सबने एक साथ दैत्य के पास जाकर मरने का निश्चय किया है l " कुंती ने उन्हें सांत्वना दी और कहा कि ---- आप निश्चिन्त रहें , आपने अपने घर में हमें आश्रय दिया है , आपकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है l आज मेरा पुत्र भीम जायेगा l भीम बहुत बलवान थे , फिर सत्प्रयासों में बहुत शक्ति होती है l भीम ने दैत्य का वध कर दिया और वह क्षेत्र दैत्य के आतंक से मुक्त हो गया l
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