आज संसार में धनपतियों में संसार का सबसे अधिक अमीर बनने की होड़ है l इस अंधी प्रतियोगिता के कारण ही वे सब तरीके अपनाये जाते हैं जो मानव जाति के लिए हानिकारक हैं l कर्मफल को माने या न मानें लेकिन यह तो सच है कि उम्र ढलने पर अपने कमरे (ROOM ) में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना कठिन होता है , बड़े - बड़े महल का कोई अर्थ ही नहीं रहता , छप्पन व्यंजन भी हों तो शरीर में उनको हजम करने की शक्ति नहीं रहती l सुख के सब साथी दुःख में न कोय l इतना शोषण , इतना अन्याय किसके लिए करते हैं l दान भी करते हैं , तो उसके पीछे अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं या अपने अनैतिक , अमर्यादित कार्यों पर कोई ऊँगली न उठाए , इसलिए सबका मुंह बंद करने के लिए l यह सत्य व्यक्ति स्वयं जानता है कि उसे चैन की नींद आती भी है या नहीं l
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