' मनुष्य की एक मुट्ठी में स्वर्ग और दूसरी में नरक है l वह अपने लिए इन दोनों में से किसी को भी खोल सकने के लिए स्वतंत्र है l ' हम क्या चुनते हैं यह हमारे विवेक पर निर्भर है l या तो हम आधुनिक सुख - सुविधाओं में जीवन व्यतीत करें , जिसमे विज्ञानं द्वारा प्रदत्त साधनों से निकलने वाली तरंगे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और हमारी प्रतिरोधक शक्ति को कम करती हैं ,---- या हम सीमित मात्रा में सुविधाओं का उपभोग करते हुए प्राकृतिक जीवन जिएं l आज की स्वास्थ्य संबंधी अधिकांश समस्याएं विज्ञान की देन l जब संसार के बुद्धिजीवी , विचारशील व्यक्ति आगे बढ़कर वैज्ञानिक प्रगति की सीमा , एक मर्यादा निर्धारित कर देंगे तभी संसार विभिन्न आपदाओं से सुरक्षित रह पायेगा l
No comments:
Post a Comment