एक बार जिज्ञासु अग्निवेश ने आचार्य चरक से पूछा ----- " संसार में जो अगणित रोग पाए जाते हैं , उनका कारण क्या है ? " आचार्य ने उत्तर दिया ---- " व्यक्ति के पास जिस स्तर के पाप जमा हो जाते हैं , उसी के अनुरूप शारीरिक और मानसिक व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं l प्रकृति के सामूहिक दंड भी मनुष्य के सामूहिक पतन के दुष्परिणाम होते हैं l उच्च स्तरीय आस्थाओं की अवहेलना , विलासी , बनावटी और अहंकारी गतिविधियाँ अपनाने , चिंतन में दुष्टता और आचरण में भ्रष्टता के कारण आंतरिक तनावों में वृद्धि हुई है l आज अधिसंख्यक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रस्त पाए जाते हैं l शरीर और मन परस्पर गुंथे हुए हैं l शारीरिक रोग कालांतर में मानसिक और मानसिक रोग शारीरिक रोग बन जाते हैं l
No comments:
Post a Comment