एक कथा है --- हुसैन नामक एक जौहरी था , व्यापार के लिए वह रोम नगर गया l वहां के मंत्री से उसकी मित्रता हो गई l एक दिन वह मंत्री के साथ घोड़े पर सवार होकर जंगल में जा रहा था l वहां उसे हीरे - मोती की झालरें लगा हुआ एक विशाल तम्बू नजर आया l इस तम्बू के पास विशाल सुसज्जित सेना खड़ी थी l इस सेना ने सेनापति के साथ उस तम्बू की प्रदक्षिणा की और रोमन भाषा में कुछ प्रार्थना कर के चले गए l इसके बाद सफ़ेद वस्त्र पहने कुछ वृद्ध पुरुष आये वे भी प्रदक्षिणा और प्रार्थना कर के चले गए l अब दो - तीन सौ सुंदरियाँ जवाहरात से भरे थालों को हाथ में लेकर आईं और सबकी तरह तम्बू की परिक्रमा कर के और प्रार्थना कर के चलीं गईं l सबसे अंत में उस देश का राजा अपने मंत्रियों सहित आया और तम्बू के भीतर गया l थोड़ी देर बाद बाहर आया और भरे हृदय से कुछ प्रार्थना कर चला गया l हुसैन को यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ , उसने मंत्री से इसका रहस्य पूछा l मंत्री ने बताया ---- हमारे राजाधिराज के एक बड़ा सुन्दर और गुणवान पुत्र था , राजा को उससे बड़ा प्रेम था l एक दिन अचानक उसका देहांत हो गया और बादशाह शोक सागर में दुब गया l इस तम्बू में उसी शहजादे की कब्र बनी है l प्रतिवर्ष कुमार की मृत्यु तिथि के दिन बादशाह सेना और परिवार सहित यहाँ आता है और कब्र की प्रदक्षिणा कर के चला जाता है l उन सबने रोमन भाषा में जो प्रार्थना की उनका आशय यही है कि अगर सेना की वीरता से , विद्वानों के ज्ञान से , धन - सम्पति आदि किसी शक्ति से संसार से चले गए व्यक्ति को वापस बुला सकना संभव होता तो हम तुमको अवश्य बुला लेते l पर किसी प्रकार ऐसा हो सकना असंभव है , इस कारण हम तुम्हारे लिए शोक ही प्रकट कर सकते हैं l
No comments:
Post a Comment