पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' जहाँ राह गलत होती है वहां जीवन के सार्थक होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता l सिकंदर के जीवन और व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखा जा सकता है l सिकन्दर का सपना था विश्व विजय करने का l विश्व विजय का स्वप्न देखने वाला अजेय योद्धा एक साधारण से जंतु मच्छर का सामना नहीं कर सका l बेबीलोन में जाकर उसकी मृत्यु मलेरिया से हुई l " संसार में आकर्षण इतना है कि हर व्यक्ति चाहे ऊंच हो या नीच , वह अमीर हो या गरीब , स्वस्थ हो या अस्वस्थ --- सब जीना चाहते हैं l कोई भी युद्ध और दंगों के , किसी आपदा और महामारी के कारण मरना नहीं चाहता l लेकिन संसार के चन्द उन्मादी , अहंकारी और अति महत्वकांक्षी लोगों की वजह से सामान्य बेगुनाह प्रजा , मासूम बच्चे जिन्होंने अभी संसार देखा ही नहीं , मारे जाते हैं l आज संसार में समस्याएं इतनी भयावह इसलिए हैं कि क्योंकि लोगों पर स्वार्थ हावी हो गया है l ' मृत्यु अटल सत्य है ' इससे कोई नहीं बचा है इसलिए ' जियो और जीने दो ' का मन्त्र लेकर जीवन को सार्थक करें l
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