आज संसार में सबसे बड़ी समस्या है ------ ' प्राथमिकता के चुनाव की l ' संसार में भिन्न - भिन्न विचारधारा के , विभिन्न व्यवसाय के --------- प्राणी हैं l प्रत्येक व्यक्ति की प्राथमिकता उसके विचार , उसकी मानसिक प्रवृत्ति के अनुसार होती है l एक सामान्य व्यक्ति की प्राथमिकता क्या है उसका परिणाम केवल उस पर और उसके परिवार पर होता है जैसे --यदि एक व्यक्ति अपनी सीमित आय का अधिकांश भाग नशा , सिगरेट , गुटका आदि पर खर्च कर देता है तो उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी , कलह होगी , बच्चों का भविष्य भी बिगड़ेगा l लेकिन ऐसे व्यक्ति जिनके कार्य और उनकी प्राथमिकताओं के चयन सम्पूर्ण समाज , राष्ट्र और संसार को प्रभावित करते हैं , उन पर यदि स्वार्थ और महत्वाकांक्षा हावी है तो उसका नकारात्मक परिणाम होगा l --- महाभारत में एक कथा है --- महाराज ययाति वृद्ध हो गए लेकिन उनकी भोग - विलास की इच्छाएं तृप्त नहीं हुईं , यमराज उन्हें लेने आए तो वे बहुत रोए , गिड़गिड़ाए l यमराज ने कहा --- यदि तुम्हारा कोई पुत्र तुम्हे अपनी जवानी दे दे तो तुम पुन: सुख - भोग पा सकोगे l उनके चार पुत्रों ने मना कर दिया लेकिन पांचवें पुत्र को दया आ गई उसने अपनी जवानी उन्हें दे दी l ऐसा दस बार हुआ और उन्होंने हजार वर्षों तक भोग -विलास का जीवन जिया l ययाति की प्राथमिकता थी कि वे स्वयं भोग - विलास का जीवन जिएं , अपने पुत्रों के जीवन की कीमत पर l यह द्वापर युग की बात थी लेकिन जब संसार में कलियुग में प्रवेश किया तो राजा परीक्षित ने कलियुग को रहने के जो स्थान बताए उनमे एक स्थान ' स्वर्ण ' अर्थात धन- दौलत , वैभव l यही कारण है कि जिसके पास जितना अधिक है , उसे उतना ही अधिक लालच है और उसके इस लोभ - लालच का परिणाम समाज को भुगतना पड़ता है l एक कथा है ---- एक राजा था , वह प्रजा के हित का बहुत ध्यान रखता था l उसने अपने विशाल राज्य में अनेक पाठशाला , धर्मशाला , चिकित्सालय , पशुओं के लिए चरागाह आदि व्यवस्थाएं की l इन सबकी जानकारी के लिए वह वेश बदलकर भ्रमण करता था l एक बार वह अपने कुछ अधिकारियों और राज्य के प्रमुख श्रेष्ठियों के साथ अपने राज्य के दूरस्थ क्षेत्र में गया l वहां देखा कि सब जगह रौनक थी , जहाँ अस्पताल था वहां हरियाली थी , शांति थी , पक्षी चहक रहे थे , पानी का सुन्दर दृश्य था l माली से पूछा -- यहाँ के सब मरीज कहाँ गए l ' माली ने कहा --- इस क्षेत्र में तो सब स्वस्थ हैं , व्यर्थ में यहाँ क्यों आएंगे ? वेश बदले हुए राजा ने पूछा ---- इतने स्वस्थ सब कैसे हैं ? ' माली वृद्ध था उसने समझाया ----- यहाँ सब लोग प्राकृतिक जीवन जीते हैं , नशे से दूर रहकर नियम , संयम से रहते हैं और सबसे बढ़कर नैतिकता के नियमों का पालन करते हैं इस कारण हर तरह की तकलीफों से मुक्त रहते हैं l यह सब सुन राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई कि उसके विशाल राज्य में एक क्षेत्र इतना आदर्श है l उसने अपने साथ के अधिकारियों व श्रेष्ठियों से कहा ---इस गांव का उदाहरण देकर अन्य गांवों को भी प्रेरित करेंगे l लेकिन यह सुनकर उन श्रेष्ठियों का माथा ठनक गया कि जब कोई बीमार नहीं पड़ेगा तो उनका व्यापार कैसे बढ़ेगा , दवाई कैसे बिकेगी , धन के बल पर शासन पर और राज्य में दूर -दूर तक जो प्रभुत्व है उसका क्या होगा ? कलियुग ने उनकी बुद्धि को दुर्बुद्धि में बदल दिया , अपने अनेक अपराधी मनोवृत्ति के लोगों को भेजकर वहां के लोगों में नशे आदि की आदत डलवा दी l नैतिकता के नियम नहीं रहे l हमारे आचार्य और ऋषियों ने लिखा है -- मनुष्य का पतन ऐसे होता है जैसे गेंद टप्पे खा , खाकर गिरती है l यही हाल उस क्षेत्र का हुआ , बहती दरिया में हर कोई हाथ धोता है l जब प्राथमिकता में लालच हो , संवेदनहीनता हो तो परिणाम दुखदायी होते हैं l
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