12 June 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं  ------ कोई  भी  परिवर्तन  चाहे  बड़ा  हो  या  छोटा   विचारों  के  रूप  में  ही  जन्म  लेता  है   l   मनुष्यों  और  समाज  की   विचारणा  तथा  धारणा   में   जब  तक  परिवर्तन  नहीं   आता   तब  तक  सामाजिक  परिवर्तन  भी  असंभव  है   l  और  कहना  यही  होगा   कि   विचारों  के  बीज  साहित्य  के   हल  से  ही  बोये  जा  सकते  हैं   l  '                                चीन  में  लू -शुन    महान  विचारक  और   सांस्कृतिक  क्रांति  के  महान  सेनापति  थे   l   उन  दिनों  यद्द्पि  चीन  में  स्वदेशी  शासन  था    परन्तु  सामंतों  और  जागीरदारों  का   बड़ा  प्रभुत्व  था    और  उनके  विरुद्ध  आवाज  उठाने  का  मतलब  था  घुट - घुट   कर  मर  जाना   l   उन  परिस्थितियों  का  चित्रण  करते  हुए  लू  - शुन  ने  एक  मार्मिक  कहानी  लिखी  ----- ' भूतकाल  का  पश्चाताप  l  '      इस  कहानी  का  नायक   शिक्षित  भी  है   और  लेखक  भी  है   l   बदलती  परिस्थितियों  में  वह  मितव्ययता   से   अपना  गुजरा  चलाने   का  प्रयत्न  करता  है   परन्तु  परिस्थितियों  से  तालमेल  नहीं  बैठता  है   l  इस  कहानी  में   उसे  कोई  काम  नहीं  मिलता  l   वह  सोचता  है  कि   जब  मेरे  पास   आजीविका  का  कोई  साधन  नहीं  है   तो  मैं  अपनी  पत्नी  से  प्रेम  भी  कैसे  कर  सकता  हूँ    और  वह  अपनी  पत्नी  को   कहीं  और  भेज  देता  है  -- जहाँ  वह  मर  जाती  है   l  पत्नी  के  देहांत  का  समाचार  पाकर   नायक  अवाक  रह  जाता  है   l   अब  नायक  के  विचार  बदलते  हैं   और  उसके  साथ  उसकी  जीवन -दशा   भी  बदलती  है   l   इन  निर्णायक  क्षणों  में  वह  कहता  है  --- निस्संदेह    इन  परिस्थितियों  से  समझौता  करने  के  लिए    मुझे  अपने    हृदय  को   घायल  करना  पड़ेगा    और  जीने  के  लिए    घायल  हृदय  में  सत्य  को  छिपाना   ही  पड़ेगा   l   जीने  का  एक  यही  रास्ता  है    कि   अपने  जीवन  दर्शन  को   भुलाकर  असत्य  को  ही  अपना  मार्गदर्शक  बनाना  पड़ेगा   l   इस  कहानी  में  तीव्र  व्यंग्य  किया  गया  था   , इससे  जो  लोग  इसका  निशाना  बने  वे  तिलमिला  गए   l 

No comments:

Post a Comment