12 June 2021

WISDOM -----

   पारसियों  के  इतिहास  में  नौशेरवाँ   एक  बहुत  प्रसिद्ध   और  न्यायशील  बादशाह  हुआ  l   एक  बार  रोम  के  बादशाह  का  राजदूत   नौशेरवाँ   की  राजधानी  में  आया  l   वह  महल  की  एक  खिड़की  के  पास खड़ा  होकर   नीचे   सुन्दर  उपवन  को  देख  रहा  था  l  उसकी  दृष्टि  वहां  कोने  में   बनी   हुई  गन्दी  झोंपड़ी  पर  गई  l   उसे  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  l   उसने  पास  खड़े  एक  पारसी  सरदार  से  इसका  कारण  पूछा  l   उस  सरदार  ने  बताया  कि   जिस  समय  नौशेरवाँ   इस  महल  को  बनवाने  लगा   तो  सब  जमीन   तो  ठीक  हो  गई    पर  एक  कोने  में  गरीब  बुढ़िया  की  झोंपड़ी  आ  गई   l   जब  राज्य  कर्मचारियों  के  कहने  से    बुढ़िया  ने  झोंपड़ी  खाली  नहीं  की    तो  स्वयं  नौशेरवाँ   ने  जाकर  उससे  कहा   कि   बगीचे  बनने  के  लिए  इस  स्थान  की  आवश्यकता  है  ,  तू  इसकी  जितनी  कीमत  चाहे    लेकर  इसे  बेच  दे   l   पर  जब  वह  बुढ़िया  राजी  नहीं  हुई   तो  उससे  कहा  गया  कि   इस  झोंपड़ी  के  बजाय   यहाँ  एक  सुन्दर  मकान  बना  दिया  जाये   l   इस  पर  बुढ़िया  ने  कहा    कि   यह  झोंपड़ी   मेरे  परिवार  वालों  के   स्मृति  चिन्ह  की  तरह  है  ,  मैं  किसी  प्रकार  इसका  नष्ट  किया  जाना   सहन  नहीं  कर  सकती    l   तब  नौशेरवाँ   ने  कहा  कि   चाहे  मेरा  महल  अधूरा  रह  जाये  ,  मैं  जबर्दस्ती   किसी  की  चीज  पर  कब्जा   नहीं  करूँगा  l   इसलिए  इस  झोंपड़ी  को  ज्यों  का  त्यों  रहने  दिया  l   रोम  का  राजदूत   यह  सुनकर  बड़ा  प्रभावित  हुआ  और    कहने  लगा    कि तब  तो  इस  झोंपड़ी  के  रहने  से  महल  की  सुंदरता  घटने  के  बजाय  बढ़  गई   l   महल  तो  कुछ  वर्षों  में  पुराना  और  खंडहर  हो  जायेगा  ,  पर  यह  बुढ़िया  की  झोंपड़ी  की  कथा   तो  सदैव  लोगों  को  सत्य  और  न्याय  पर  चलने  की  प्रेरणा  देती  रहेगी   l 

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