पोरस से युद्ध जीतकर भी सिकंदर हार गया था , थक - हार कर जब वह वापस लौटने लगा तो उसने सोचा क्यों न आसपास के छोटे राज्य ही हड़प लिए जाएँ l उसकी दृष्टि अश्वपति के राज्य पर पड़ी l अश्वपति ने अपने राज्य का विस्तार तो नहीं किया था , पर उसने समर्थ नागरिक तैयार करने के हर संभव प्रयास किये थे l उसके राज्य में सभी स्वस्थ और वीर - बहादुर थे l काना - कुबड़ा , दीनहीन , आलसी कोई न था l अपने राज्य के सब बच्चों की शिक्षा - दीक्षा का प्रबंध अश्वपति स्वयं करता था l उसके राज्य का हर नवयुवक चरित्रबल , शौर्य और संयम की प्रतिमूर्ति था l ऐसे राज्य की सेना को आमने - सामने के युद्ध में पराजित करना असंभव था l अत: सिकन्दर ने छल का सहारा लिया और रात्रि में छल से अश्वपति पर आक्रमण कर उसे हरा कर बंदी बना लिया l अश्वपति के चार वफादार कुत्ते थे , जो उनके साथ रहते थे l सिकन्दर ने कुत्तों की लड़ाई शेर से कराने की सोची l अश्वपति बोले ---- " राजन ! ये भारतीय कुत्ते हैं l शेरों से भी मैदान में लड़ते हैं l छिपकर आक्रमण नहीं करते l " कुत्ते और शेर के मध्य लड़ाई प्रारम्भ हुई तो देखते - देखते कुत्तों ने शेर को लहूलुहान कर दिया l शेर भागने को मजबूर हो गया l यह देखकर सिकन्दर बोला ----- " जिस राज्य के कुत्ते भी इतने पराक्रमी हैं , वहां की सेना को हम कैसे हरा पाए ? " अश्वपति बोले ----- " यदि आपने छल न किया होता और यह युद्ध आमने - सामने का होता तो यथार्थता का पता चल जाता l " सिकन्दर के पास मुँह लटकाने के अतिरिक्त और कोई चारा न था l
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