ज्यादातर सार्वजनिक कार्यकर्त्ता ख्याति के लोभ को रोक नहीं पाते हैं और किसी न किसी प्रकार अपने को जाहिर कर ही बैठते हैं लेकिन रुसी क्रांति के महानायक लेनिन ऐसी यश की लालसा से बहुत ऊँचे उठे हुए थे और बराबर एक अँधेरी कोठरी में बैठे हुए गुप्त रूप से अपना काम करते रहे l उस ससमय अत्यंत साधारण और गरीबी की दशा में रहने पर भी लेनिन एक ऐसी शक्तिशाली संस्था के निर्माण के लिए प्रयत्नशील था जो जारशाही का तख्ता पलट दे l जिस प्रकार संसार के अन्य विजयी योद्धा ---- सिकंदर , शिवाजी , नेपोलियन आदि छोटी अवस्था से ही अपने भावी साम्राज्य की कल्पना किया करते थे , उसी प्रकार लेनिन ने भी ऐसी कल्पना की थी l लेनिन लन्दन के हाईगेट कब्रिस्तान में कार्ल मार्क्स की कब्र के पास घंटों तक बैठकर असीम शक्तिशाली भावी बोल्शेविक दल का स्वप्न देखा करता था l अंतर इतना ही था कि प्राचीन काल के योद्धाओं ने देवताओं अथवा ईश्वर का नाम लेकर तलवार उठाई थी जबकि लेनिन ने कार्यक्रम का आधार इतिहास और समाजशास्त्र को लेकर बनाया था l
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