घटना ' वन्दे मातरम ' मन्त्र के प्रणेता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के जीवन की है ----- जिस समय बंकिम बाबू की बदली बंगाल के खुलना जिले में हुई तो वहां उन्होंने नील की खेती करने वाले किसानों पर अंग्रेजों को बड़ा अत्याचार करते देखा l इनमे सबसे मशहूर मारेल साहब था , जिसने मारेलगंज नाम का एक गाँव ही बसा लिया था l यहाँ पाँच -छह सौ लाठी चलाने वाले आदमी अपने पास रखे हुए थे , जिनके बल पर वह अपना आतंक लोगों पर कायम किए हुए था l पर एक गाँव ' बड़खाली ' पर उसका बस नहीं चलता था , क्योंकि वहां के निवासियों में एकता थी l वे मिलकर अत्याचारियों का मुकाबला करते थे l एक बार किसी बात पर नाराज होकर मारेल साहब ने ' बड़खाली ' गाँव पर धावा बोल दिया दोनों पक्षों में बड़ा घोर संग्राम हुआ l मारेल साहब का दल कमजोर पड़ने लगा तो उनके दलपति हेली साहब ने बंदूक चलाना शुरू किया और बड़खाली के नेता रहीमुल्ला को मार दिया l बंदूक के भय से गाँव वाले भाग गए तो मारेल साहब के दल ने गाँव को मनमाना लूटा , औरतों को बेइज्जत किया और घरों को जला दिया l जैसे ही इस घटना का समाचार बंकिम बाबू को मिला , वे पुलिस का एक दल लेकर बड़खाली की तरफ चले , पर तब तक मारेल साहब की सेना लूट का माल और स्त्रियों को लेकर अपने गाँव पहुँच चुकी थी l बंकिम बाबू के आने का समाचार सुनकर मारेल साहब और हेली साहब तो भाग गए , तो भी बंकिम बाबू ने पीछा कर के उनमे से कितनों को ही पकड़ा और एक को फांसी तथा पच्चीस को काले पानी का दंड दिलाया l इस घटना से अंग्रेजों में बड़ी खलबली मच गई और लोगों में यह चर्चा होने लगी कि ' " अंग्रेजों ने उस आदमी को एक लाख रुपया इनाम देने की घोषणा की है जो बंकिम बाबू को जान से मार देगा l " पर बंकिम बाबू ने इस पर ध्यान न दिया और निर्भीकता से अपना काम करते रहे l ये वो समय था जब अंग्रेजों ने बड़े - बड़े भारतीयों को बुरी तरह कुचला था , उस समय के उनके आतंक का अनुमान लगाना कठिन है l पर उस जमाने में भी बंकिम बाबू ने भारतीयता के गौरव को अक्षुण्ण रखा l वे समझते थे कि अंग्रेज जातीय दृष्टि से अपने को प्रत्येक भारतवासी से श्रेष्ठ समझते हैं और उनका अपमान कर देना साधारण बात मानते हैं l इसी मनोवृत्ति का विरोध करने के लिए वे किसी भी अन्याय को देखकर अंग्रेज अफसरों से लड़ जाते थे और अपनी योग्यता और सूझबूझ के आधार पर उनको परास्त भी कर देते थे l
No comments:
Post a Comment