पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----' जीवन में मिलने वाली असफलताएं और अपमान कड़ुए घूँट की तरह होते हैं , जिन्हें हमें पीना पड़ता है l लेकिन अपने कठिन समय और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हम जितना जाग्रत व एकाग्र होते हैं , उतना अन्य सामान्य समय में नहीं होते l जीवन में अच्छा और बुरा दोनों है l अपमान और कष्ट हमें अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं l वहीँ पुण्य कर्मों से मिलने वाले सुख - साधन और यश हमें लोभी और अहंकारी बना सकते हैं तथा बुरे कर्मों की ओर प्रवृत भी कर सकते हैं l इसलिए हमें जीवन के सभी रंगों के प्रति सकारात्मक दृष्टि रखना चाहिए l " विपरीत परिस्थितियों और कष्टों में सकारात्मक दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का जीवन एक आदर्श उदाहरण है l वे 27 वर्ष कैद में रहे , वहां उन्होंने बहुत यातनाएं और अपमान सहा लेकिन अपने मन को मजबूत रखा l अपमान का दंश झेलकर भी स्वसम्मान बनाये रखा l जेल में बंद होने के बावजूद वे अडिग , ओजस्वी , संवरदानशील और दयालु बने रहे l शत्रुतापूर्ण वातावरण में भी करुणा का भाव बनाये रखा l उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है l
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