पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- ' जीवन की पचास फीसदी समस्याएं मानवीय व्यवहार से जुडी होती हैं , व्यावहारिक तालमेल के अभाव से , संवादहीनता से जो विसंगतियां उत्पन्न होती हैं उनसे जिंदगी का ढांचा लड़खड़ा जाता है l चालीस फीसदी समस्याओं की जड़ विचारों और भावनाओं में धँसी होती है l विचारों में द्वन्द , आत्मविश्वास में कमी , भावनाओं के विक्षोभ इन समस्याओं के कारण होते हैं l इसके अलावा रही , बची दस फीसदी समस्याएं प्रारब्ध जन्य होती हैं , इनका सम्बन्ध अतीत के कर्मों व संस्कारों से होता है l ऐसी समस्याएं जीवन में यदा कदा दस - बीस सालों में एक - आध बार ही सामने आती हैं l " आचार्य श्री का कहना है ---- ' यदि खान - पान , रहन - सहन , बातचीत , व्यवहार , सोच - विचार , आत्म विकास , ईश्वर विश्वास को व्यवस्थित कर जिंदगी में आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपना लिया जाये तो जीवन सहज ही समस्याओं से मुक्त हो सकता है l "
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