12 December 2021

WISDOM -----

   रामकृष्ण  परमहंस  के  पास  नरेंद्र  ( स्वामी  विवेकानंद )  को  आते    काफी  अवधि  हो  चुकी  थी  l   एक  दिन  वे  अपने  शिष्यों  से  बोले ---- " अब  तक  तो  नरेंद्र  के  पास  सब  कुछ  था  ,  पर  अब  माँ  इसे  बहुत  दुःख  देंगी    क्योंकि  उन्हें  इसका  विकास  करना  है  l  "  नरेंद्र  को  काफी  दुःख  वेदनाएं  सहन  करनी  होंगी  ,  तभी  वह  लोक - शिक्षण  हेतु    अपने  आपको  गढ़  पायेगा   l   उनने  अपने  शिष्यों  को  बताया  कि   दुःख   ही  भाव  शुद्धि  करते  हैं  ,  दुःख  ही  व्यक्ति  को  अंदर  से  मजबूत  बनाते  हैं   l   नरेंद्र  के  ऊपर  दुःखों   की  बाढ़   आ  गई  l   सब  कुछ    छिन   गया ,   रोटी  के  लिए  तरस  गए  l   कई  गहरी  पीड़ाएँ  एक  साथ  आईं  l   उनने  अपनी  बहन  को  आत्महत्या  करते  देखा  ,  माँ  का  रुदन  देखा  l   रामकृष्ण  उनकी  हर   पीड़ा  में  दुःख  व्यक्त  करते  ,  पर  जानते  थे  कि    यह  सब  भी  जरुरी  है  l   सामयिक  है   l   इसी  ने  नरेंद्र  को  स्वामी  विवेकानंद   बनाया  l 

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