23 January 2021

WISDOM -------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " शक्ति  और  सामर्थ्य  का  प्रयोग   अहंकार  और  दंभ   प्रदर्शन  के  लिए  नहीं  होना  चाहिए  ,  बल्कि  इसका  नियोजन  मानवता  के  कल्याण   और  विकास  के  लिए  करना  चाहिए   l   सामर्थ्य  के  संग  जब  अहंकार   जुड़ता  है  ,  तो  विनाश  होता  है     और  जब  सामर्थ्य  के  संग  संवेदना  जुड़ती  है  ,  तो  विकास  होता  है   l "  आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- "      सामर्थ्य  और  शक्ति  का  प्रयोग    तो  समान   व्यक्ति  के  विरुद्ध    होना  चाहिए  ,  और  वह  भी  मूल्यों  की  रक्षा  के  लिए   l  "     महाभारत    में  जब  अर्जुन  ने  देखा  कि   उसे  अपने  ही  भाइयों , पितामह ,  गुरु  आदि  से  युद्ध  करना  होगा   तो  वह  विषादग्रस्त  हो  गया  ,  उसने  अपना  गांडीव  नीचे  रख  दिया   तब  भगवान  कृष्ण  ने  उसे  गीता  का  उपदेश  दिया   ,  भगवान  ने  कहा  ---- वे  लोग  अधर्म  और  अन्याय  के  पक्ष  में  हैं  , अत्याचारी  हैं   l   यदि  अत्याचार  और  अन्याय   को हम  नहीं   मिटायेंगे   तो  वे  हमें  मिटा  देंगे  l   इस  संसार  में  सुख - शांति  के  लिए   असुरता  को  मिटाना   अनिवार्य  है  ,  इसलिए  तुम  शस्त्र  उठाओ  और  युद्ध  करो  l 

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