4 February 2021

WISDOM ----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' आलोचनाओं  का  जवाब   देने  में  जो  शक्ति  और  ऊर्जा  खरच   होती  है  ,  उससे   कई  रचनात्मक  कार्य  किए   जा  सकते  हैं  l   जो  आलोचनाओं  की  परवाह  किए   बिना   अपने  कार्य  पर  ध्यान  देते  हैं  ,  वे  ही  कुछ  अच्छा  कर  पाते   हैं   l   इसलिए  आलोचना  तो  सुननी   चाहिए  l  यदि  वास्तव    में  आलोचना  के  अनुसार   हमारे  अंदर  कमियां  हैं  ,  तो  उन्हें  दूर  करने  का  प्रयास  करना  चाहिए   ,  न  कि  आलोचना  करने  वाले  की   निंदा  करनी  चाहिए   l '

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