18 June 2021

WISDOM ------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- " जाल  में  फंसने  वाले  पक्षियों  की  ऐसी  दुर्गति  होती  है   कि   देखते  बनती  है   l   दूर  कौन  उड़कर  जाये ,  कौन  परिश्रम पूर्वक  दाना  चुगे   l   वे  तो  दाना   ढूंढ़ने   की  तुलना  में   जाल  पर  बिखरे  दानों  को    एक  सौभाग्य  जैसा  मानते  हैं    और  उससे  लाभ  उठाने  में  चूकने   की  बात  नहीं  सोचते   l   उन्हें  यह  सोचने  की   फुरसत   नहीं  होती   कि   लाभ  उठाते  समय   उसके  पीछे  कोई  दूरगामी  संकट   तो  नहीं  छिपा  है  ,  उसे  भी  देखने  की  आवश्यकता  है   l   हर  लोभी  अधीर - आतुर  होता  है    और  तात्कालिक  लाभ  के   कुछ  एक  दाने  चुग    लेने  के  बाद  ,  उस  पक्षी  की  तरह  बेमौत  मरता  है   ,  जिसे  सामने   बिखरे  आकर्षण   के  अतिरिक्त   अन्य  कोई  बात  सूझती  ही  नहीं   l  "

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