आज केवल भारत ही नहीं सारी दुनिया में भगवान राम के असंख्य भक्त है , यदि सब सच्चे होते तो धरती पर राम -राज्य होता लेकिन दुःख इस बात का है कि सभी धर्मों के लोग अपने धर्म ग्रंथों में लिखी हुई अच्छी बातों को अपने जीवन में नहीं अपनाते , उनमे यदि किसी ऐसे पात्र का चरित्र है जिसकी बुराई का परिणाम देखकर संभल जाना चाहिए तो संभालना तो दूर वह उस बुराई को बहुत जल्दी ग्रहण कर लेंगे जैसे रामायण में मंथरा ने महारानी कैकेयी के कान भर दिए , ऐसी बातें कहीं जिससे चारों भाइयों में फूट पड़ जाये और भगवान राम को वनवास हो जाये l मंथरा का स्वार्थ था कि महारानी कैकेयी राजमाता होंगी और वह उनकी प्रमुख दासी , तो उसका भी महत्व बढ़ेगा l उसकी ऐसी कुबुद्धि के कारण राम को वनवास तो हुआ लेकिन वह त्रेतायुग था , लोगों में धैर्य और विवेक था इसलिए चारों भाइयों में प्रेम बना रहा l मंथरा कई रूपों में आज भी इस धरती पर है l हमें रामायण से शिक्षा लेनी चाहिए कि कान के कच्चे न हो , किसी के भड़काने पर अपना मन मैला न करे l मानव जीवन बहुमूल्य है , बार - बार नहीं मिलता l अपनी ऊर्जा को व्यर्थ के मतभेदों में गँवाने के बजाय सकारात्मक कार्यों में नियोजित करें l
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