19 April 2022

WISDOM

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- 'पथ  तय  करता  है  कि  जीवन  की  मंजिल  कहाँ  है  l  नीति  की  राह   पर  चलें  और  उत्सव  मनाएं   l  ' आचार्य श्री  लिखते  हैं ----- 'अनीति  एवं  गलत  राह  से  कभी  भी  श्रेष्ठ  मंजिल  की  प्राप्ति  संभव  नहीं  है  l  गलत  राह  पर  चलकर  पाई  गई  यह  चाँद  दिनों  की  चकाचौंध   दूसरों  पर  अपना  प्रभाव  कितना  ही  क्यों  न  डाले  ,  परन्तु  अंतर्मन  खोखला  ही  रहता  है  , कभी  भी   तृप्ति  का  एहसास  नहीं  कर  पाता   है  l  '     कौरवों  के  पास  जो   ऐश्वर्य  और  वैभव  था  वह  पांडवों  के  अधिकारों  को  कुचलकर   प्राप्त  था  , इसलिए  उसका  अंत  भी  उससे  कई  गुना  दर्दनाक  था   l   धृतराष्ट्र  के  सौ  पुत्रों  में  से  एक  भी  जीवित  नहीं  बचा   l    जिनकी  नियत   में  खोट  होता  है   उनका  अंत  कभी  भी  भला  नहीं  हो  सकता  l  भगवान  ने  इंद्र  को  सिंहासन  देने  हेतु  वामन  रूप  धरकर    बलि  को  छला  l  अपने  छल  के  परिणाम  में  उन्हें  बलि  के  दरबार  में  द्वारपाल   होना  पड़ा   l    भगवान  राम  ने  सुग्रीव  को  बचाने  के  लिए   बाली  को  छुपकर  मारा  था  ,  अगले  जन्म  में   कृष्णावतार  के  समय  बाली  का  पुनर्जन्म  व्याध  जरा  के  रूप  में  हुआ   और  उसके  द्वारा   किए  गए  शर संधान   से  भगवान  कृष्ण  को  देह  त्यागनी  पड़ी   l   इनसान  हो  या  अवतार  , सभी  को  परिणामों  का  सामना  तो  करना  ही  पड़ता  है   l   

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