लघु कथा ----- ' संसार अपनी गति से चलता है लेकिन अच्छे -अच्छों को यह भ्रम हो जाता है कि उनके बिना काम नहीं चल सकता l ' ----- मुर्गा बांग देता है और सूरज उगता है l एक व्यक्ति को यह विश्वास हो गया कि सूरज उगता ही उसके मुर्गे की बांग से है l एक दिन उस आदमी का झगड़ा गाँव वालों से हो गया l उसने कहा ---- ' याद रखना यदि मैं अपने मुर्गे को लेकर गाँव से चला जाऊंगा , तो सूरज नहीं उगेगा तुम्हारे गाँव में l फिर बैठे रहना अँधेरे में l वह मुर्गा लेकर दूसरे गाँव चला गया l दूसरे दिन तड़के मुर्गे ने बांग दी और सूरज निकला इस गाँव में l उस आदमी ने कहा ---- अब पीटते होंगे सिर उस गाँव के लोग l मुझसे बिगाड़ कर व्यर्थ ही अंधकार की मुसीबत मोल ले ली l ' उसे भ्रम था कि जहाँ उसका मुर्गा बांग देता है सूरज वहीँ निकलता है l
2 . बादल गरज रहे थे l उन्हें गरजते बहुत देर हो गई पर उससे कुछ खास बात नहीं हुई l पर जब एक बार बिजली कड़की और गिरी तो कई पेड़ जलकर खाक हो गए l एक व्यक्ति बादलों की गरज को बहुत महत्त्व दिया करता था और उन्ही में शक्ति भरी मानता था l पर जब उसने इस बार का घटनाक्रम देखा तो अपना विचार बदल दिया l समझ गया कि गरजने वाले चमत्कार नहीं दिखाते हैं , सामर्थ्य तो चमकने वाली शक्ति में होती है l इसके बाद उसने अपनी आदत सुधारी , गरजना बंद कर दिया और चमकने वाली पद्धति अपनाई l
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