इसे मानव जाति का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि ऐसा समय आ जाता है जब पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है l लोगों की मानसिकता प्रदूषित होने से ही हर दिशा में नकारात्मकता ही दिखाई देती है l जब -जब धरती पर पाप बढ़ जाता है , तब ऐसी ही स्थिति उत्पन्न होती है l रावण ज्ञानी था लेकिन उसने इतने अत्याचार किए कि सारा वातावरण ख़राब हो गया , इस वजह से उन दिनों जितने भी बच्चे हुए लंका में ,वे सब एक से बढ़कर एक राक्षस हुए l एक लाख पूत सवा लाख नाती --सब राक्षस प्रवृति के थे l इसी तरह द्वापर युग में कंस और दुर्योधन के अत्याचार से पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया था l अनेक राजा अत्याचारी थे l आचार्य श्री लिखते हैं ---- जब इस तरह से पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है तब उसे साफ़ करने के लिए , उसके परिशोधन के लिए यज्ञ करना पड़ता है l भगवान राम को दस अश्वमेध यज्ञ करने पड़े l इसी तरह कंस और दुर्योधन द्वारा बिगाड़े गए वातावरण को ठीक करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण को राजसूय यज्ञ करना पड़ा l आज संसार को इसी तरह के परिशोधन की आवश्यकता है l
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