28 July 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " अहंकार  के  वशीभूत  होकर   जिसने  भी  स्वयं  को  भगवान   मानने  का     प्रयास   किया  है  ,  उसका  हश्र  क्या  हुआ  है  ,  यह  सब  जानते  हैं  l    कोई  भी  शक्तिमान ,  सामर्थ्यवान   तो  हो  सकता  है   ,  पर  भगवान  नहीं  बन  सकता  l  "     आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- "  जो  व्यक्ति  अहंकारी  होता  है   वह  अधिक  क्रोध  करता  है  और  भय   भी  उसके  अंदर  किसी  न  किसी  रूप  में   मौजूद  होता  है  l  लेकिन  वह  ऐसे  प्रदर्शित  करता  है  ,  जैसे  उसे  कोई  भय  नहीं  है   l  ऐसा  व्यक्ति  स्वयं  को  दूसरों  से  श्रेष्ठ  साबित  करना  चाहता  है   और  स्वयं  को  बड़ा  समझदार  मानता  है   l  जबकि  उसका  व्यवहार    ऐसा    होता  है  ,  जो  उसकी  नासमझी  को  दरशाता  है   l  "  श्रीमद् भगवद्गीता  में   भगवान  ने  कहा  भी  है ---क्रोध  से  बुद्धि  का  नाश  होता  है   l    क्रोध  एक  ऐसा  विकार  है  जो  कई  तरह  की  बीमारियों  को  जन्म  देता  है   l  

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