16 August 2022

WISDOM ----

   एक  ऋषि  अपने  शिष्य  के  साथ   किसी  यात्रा  पर  जा  रहे  थे   l  वे  उस  नगर  के  पास  से  गुजरे   जहाँ  के  राजा  को   कुछ  दिन  पूर्व  युद्ध  में  मार  दिया  गया  था  l  राज -प्रासाद  जो  कभी  हास -विलास  का   केंद्र  था  ,  आज  भूत -प्रेतों  का   वास  बना  हुआ  था   l  खंडहर  देखकर  ऋषि  ने  कहा ---- " कितना  भयंकर  लगता  है  यह  स्थान  ,  आदमी  की  गति  न  होने  से   स्थान  नीरव  और  उदास  लगते  हैं  l  पता  नहीं  उस  दिन  धरती  की  स्थिति  क्या  होगी  ,  जिस  दिन  पृथ्वी   से  मानव  का  अस्तित्व  उठ  जायेगा   l  "    शिष्य  ने  प्रश्न  किया  ---- " क्या  यह  संभव  है    भगवान  कि   पृथ्वी  जन शून्य  हो  जाएगी   ? "    ऋषि  ने  उत्तर  दिया  ----- " हाँ   वत्स  !  यह  संभव  है  l  लाखों -करोड़ों  आदमी  भले  ही  न   मरें  ,  पर  जिस  जिस  दिन   धरती  से  उन  आदमियों  का   अन्तर्धान  हो  जायेगा  ,  जिनके  आधार  पर   मनुष्यता  और  धरती  की  प्रतिष्ठा  है   l  जिस  तरह  यहाँ  राजा  के  न  होने  से    तमाम   लोगों  की  हलचल  का  महत्त्व  नहीं  रहा  ,  उसी  तरह   प्राणप्रद   पुरुषों  के   न  होने  से    धरती  की  शोभा  जाती  रहती  है   l    संसार  की  गति  उसमें  बसने  वाले     साधारण  आदमियों  से  नहीं   है  ,  बल्कि   उस  आदमी  के  कारण  है  ,  जिसकी  स्फूर्ति  से   अनेक  आदमियों  के  जीवन   सही  दिशा  में  चलते  हैं   l  उनका  न  रहना  और  संसार  का  प्रेतवास   बनना  एक  समान  है   l  "  

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