11 September 2022

WISDOM ----

 एक  बार  रानी  रासमणि  के  गोविन्द जी  की  मूर्ति  पुजारी  के  हाथ  से  गिरने  के  कारण  खंडित  हो  गई  l  रानी  रासमणि  ने  ब्राह्मणों  से  इलाज  पूछा  l  ब्राह्मणों  ने  खंडित  मूर्ति  को  गंगा  में  विसर्जित  कर  नई  मूर्ति  बनवाने  का  सुझाव  दिया  l  उनके  इस  सुझाव  से  रानी  बहुत  दुःखी  हुईं  कि  जिन  गोविन्द जी  को  इतनी  श्रद्धा  , भक्ति  के  साथ  पूजा  जाता  रहा ,  उन्हें  अब  गंगा  में  विसर्जित  करना  पड़ेगा  l  उन्होंने  रामकृष्ण परमहंस  से  इस  संबंध  में  पूछा  तो  वे  बोले  ----- "यदि  आपके  किसी  सम्बन्धी  का  पैर  टूट  जाता  तो  आप  उसकी  चिकित्सा  करवातीं  या  उसे  नदी नदी  में  प्रवाहित  करतीं  ? रानी  रासमणि  उनका  आशय  समझ  गईं  l  उन्होंने  खंडित  मूर्ति  को  ठीक  कराया  और  पहले  की  भांति  पूजा  आरंभ  कर  दी  l  एक  दिन  किसी  ने  स्वामी  रामकृष्ण  परमहंस  से  पूछा  --- " मैंने  सुना  है  इस  मूर्ति  का  पैर   टूटा  है  l  l"  इस  पर  वे  हंसकर  बोले ---- "जो  सबके  टूटे  को  जोड़ने  वल्र  हैं  ,  वे  स्वयं  टूटे  कैसे  हो  सकते  हैं  l "

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