महाराजा सगर की दोनों रानियों ने तप किया और वरदान मांगने के अवसर पर एक ने हजार पुत्र माँगे और दूसरी रानी ने एक पुत्र माँगा l समुचित भावनात्मक पोषण के अभाव में हजारों पुत्र झगड़ालू , उपद्रवी और अनाचारी निकले l अंतत: अपने दर्प एवं दुर्बुद्धि के कारण महर्षि कपिल के साथ अन्याय कर बैठे और मारे गए l दूसरी रानी का जो एकमात्र अकेला पुत्र था उसने समुचित भावनात्मक पोषण , मार्गदर्शन प्राप्त कर महर्षि कपिल को भी प्रसन्न कर लिया तथा राज्य का समुचित सञ्चालन भी किया तथा कीर्ति का भागीदार बना l नीतिशास्त्र में इसलिए कहा भी गया है ----- 'सैकड़ों मुर्ख बेटों की अपेक्षा एक ही गुणी पुत्र श्रेष्ठ है l जैसे अकेला चाँद अंधकार को दूर करता है , हजारों तारे नहीं l उसी प्रकार एक गुणी पुत्र समाज में अंधकार को दूर करता और प्रकाश फैलाता है l '
No comments:
Post a Comment