मनुष्य के जीवन के विभिन्न पक्ष हैं ,इनमें सबसे महत्वपूर्ण है आर्थिक पक्ष l आर्थिक क्षेत्र में विकार आ जाने से ही जीवन का प्रत्येक पक्ष गड़बड़ा जाता है l संसार में जो बड़ी -बड़ी क्रांतियाँ हुई हैं उनके मूल में जो कारण था वह --आर्थिक था l एक समय था जब केवल व्यापार -व्यवसाय में हानि -लाभ देखा जाता था l आज संसार में इतनी अधिक समस्याएं इसलिए हैं कि जीवन का प्रत्येक क्षेत्र व्यवसाय बन गया है , इस कारण उस क्षेत्र की पवित्रता समाप्त हो गई है l ईमानदारी ,सच्चाई से काम करने वाले बहुत हैं लेकिन उनकी तुलना में दीमक की प्रकृति की संख्या बहुत अधिक है l अमीर और गरीब को देखने का नजरिया भी भिन्न है l एक वृद्ध व्यक्ति मजदूरी करे , ठेला चलाए , बहुत मेहनत कर के परिवार का पालन पोषण करे तो वह दया का पात्र है लेकिन वह व्यक्ति जिसने जीवन में नौकरी कर के पर्याप्त धन कमा लिया , उसके पास जमा -पूंजी आदि सब कुछ है लेकिन फिर भी वह और धन कमाने के लिए , समाज में अपनी पहचान बनाये रखने के लिए या समय व्यतीत करने के लिए कहीं न कहीं जुड़ा है , अब क्योंकि वह समर्थ है इसलिए उसके प्रति कोई भाव नहीं है जबकि सत्य ये है कि ऐसे व्यक्ति कहीं काम कर के युवा पीढ़ी का हक छीन रहे हैं l धन को ही स्टेटस सिम्बल माना जाने के कारण अब ऐसे व्यक्ति समाज को अपने ज्ञान का लाभ नहीं देते बल्कि सारे गुर , सभी बारीकियां समझ आ जाने के कारण भ्रष्टाचार में बड़ा योगदान देते हैं l इन सबके पीछे सबसे बड़ा कारण है ---दुर्बुद्धि l दुर्बुद्धि के कारण ही संसार में सारी समस्याएं हैं l
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